भोपाल में PM मोदी की पाकिस्तान को फिर चुनौती
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर पाकिस्तान को चुनौती दी है। भोपाल मे उन्होंने कहा कि गोली का जवाब गोले से मिलेगा। सिंदूर भारत के शौर्य का प्रतीक बन गया है। मोदी ने कहा कि आतंकियों ने नारी शक्ति को चुनौती दी थी। यही चुनौती उनके और उनके आकाओं को लिए काल बन गई।
हमारी सेना ने दुश्मन के घर में सैकड़ों किमी दूर घुसकर उनके आतंकी ठिकानों को तबाह किया। ऑपरेशन सिंदूर भारत के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा सफल ऑपरेशन है।
पीएम ने भोपाल में देवी अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती पर आयोजित महिला सशक्तिकरण महासम्मेलन में कहा कि लोकमाता देवी अहिल्याबाई होल्कर, ये नाम सुनकर ही मन में श्रद्धा का भाव उमड़ पड़ता है। उनके महान व्यक्तित्व के बारे में बोलने के लिए शब्द कम पड़ जाते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण के 3 प्रमुख पॉइंट
1. ऑपरेशन सिंदूर और पाकिस्तान: डंके की चोट पर कह दिया है कि आतंकियों के जरिए प्रॉक्सी वॉर नहीं चलेगा। अब घर में घुसकर भी मारेंगे और जो आतंकियों की मदद करेगा उसे भी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। 140 करोड़ देशवासी कह रहे हैं अगर तुम गोली चलाओगे, मान के चलो गोली का जवाब गोले से दिया जाएगा।
पहलगाम में आतंकियों ने सिर्फ भारतीयों का खून ही नहीं बहाया उन्होंने हमारी संस्कृति पर भी प्रहार किया। उन्होंने समाज को बांटने की कोशिश की। सबसे बड़ी बात आतंकियों ने भारत की नारी शक्ति को चुनौती दी है। ये चुनौती आतंकियों और उनके आकाओं के लिए काल बन गई है।
2. महिलाओं से जुड़ी योजनाएं: 2014 से पहले 30 करोड़ बहनें ऐसी थी, जिनके बैंक खाते ही नहीं थे। हमारी सरकार ने उनके खाते खुलवाए और अलग-अलग योजनाओं के पैसे उनके खातों में भेज रही है। मुद्रा योजना से बिना गारंटी के लोन मिल रहा है। मुद्रा योजना की 75 परसेंट से ज्यादा लाभार्थी हमारी माता-बहनें हैं। देश में 10 करोड़ बहनें सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़ी हैं।
आज सरकार हर घर तक नल से जल पहुंचा रही है, ताकि हमारी माताओं-बहनों को असुविधा न हो। बेटियां अपनी पढ़ाई में ध्यान दे सकें। करोड़ों लोगों के पास पहले बिजली, एलपीजी और टॉयलेट जैसी सुविधाएं भी नहीं थीं। ये सुविधाएं भी हमारी सरकार ने पहुंचाईं। ये सिर्फ सुविधाएं नहीं हैं, ये माताओं-बहनों के सम्मान का हमारी तरफ से नम्र प्रयास है।
पहले माताएं-बहनें अपनी बीमारियों छिपाने पर मजबूर थीं। गर्भावस्था के दौरान अस्पताल जाने से बचती थीं। उनको लगता था कि इससे परिवार पर बोझ पढ़ेगा। इसलिए दर्द सहती थीं। आयुष्मान भारत योजना ने उनकी इस चिंता को भी खत्म किया है। अब वो भी अस्पताल में 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज कर सकती हैं।
पहली बार हमने पूर्णकालिक रक्षा मंत्री और वित्त मंत्री महिला को बनाया। इस बार संसद में 75 महिला सांसद हैं। नारी शक्ति वंदन अधिनियम के पीछे भी यही सोच है। सालों तक इसे रोका गया। अब संसद और विधानसभा में महिला आरक्षण पक्का हो गया है।
3. विकास योजनाएं: आज इंदौर मेट्रो और सतना-दतिया एयरपोर्ट की शुरुआत हुई है। ये सभी प्रोजेक्ट मप्र में सुविधाएं बढ़ाएंगे, विकास को गति देंगे और रोजगार के नए अवसर बनाएंगे। हमारी सरकार लोकमाता अहिल्याबाई के इन्हीं मूल्यों पर चलते हुए काम कर रही है। नागरिक देवो भव:, ये आज गवर्नेंस का मंत्र है।
इससे पहले मोदी खुली जीप में कार्यक्रम स्थल पहुंचे। इस दौरान हाथ जोड़कर महिलाओं का अभिवादन किया। इसके बाद प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम स्थल पर ही आयोजित प्रदर्शनी का अवलोकन किया। इस दौरान उन्होंने महिला बुनकर और ड्रोन दीदी से बात भी की।
पीएम मोदी के भाषण में लोकमाता देवी अहिल्या बाई से जुड़ी 10 बड़ी बातें
1. दृढ़ इच्छा शक्ति और प्रतिज्ञा लोकमाता देवी अहिल्याबाई होल्कर, ये नाम सुनकर ही मन में श्रद्धा का भाव उमड़ पड़ता है। उनके महान व्यक्तित्व के बारे में बोलने के लिए शब्द कम पड़ जाते हैं। देवी अहिल्याबाई प्रतीक है कि जब इच्छा शक्ति होती है, दृढ़ प्रतिज्ञा होती है तो परिस्थितियां कितनी ही विपरीत हों, परिणाम लाकर दिखाया जा सकता है।
2. गरीब से गरीब को समर्थ बनाने का काम ढाई-तीन सौ साल पहले जब देश गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ था, उस समय ऐसे महान कार्य कर जाना कि आने वाली अनेक पीढ़ियां उसकी चर्चा करे, ये कहना तो आसान है, करना आसान नहीं था। साथियो, लोकमाता अहिल्याबाई ने प्रभुसेवा और जन सेवा, इसे कभी अलग नहीं माना। कहते हैं वे हमेशा शिवलिंग अपने साथ लेकर चलती थीं। उस चुनौतीपूर्ण कालखंड में एक राज्य का नेतृत्व, कांटों से भरा ताज, कोई कल्पना कर सकता है, कांटों से भरा ताज पहनने जैसा वो काम, लेकिन लोकमाता ने अपने राज्य को नई दिशा दी। उन्होंने गरीब से गरीब को समर्थ बनाने का काम किया।
3. काशी विश्वनाथ में देवी अहिल्याबाई की मूर्ति देवी अहिल्या भारत की विरासत की बहुत बड़ी संरक्षक थीं। जब देश की संस्कृति, मंदिरों पर हमले हो रहे थे, तब लोकमाता ने उनको संरक्षित करने का वीणा उठाया। देश में कई मंदिरों-तीर्थों का पुर्निर्माण किया। मेरा सौभाग्य है, जिस काशी में लोकमाता ने विकास के इतने काम किए, उस काशी ने मुझे भी सेवा का अवसर दिया है। आज अगर आप काशी विश्वनाथ महादेव के दर्शन करने जाएंगे तो वहां आपको देवी अहिल्या बाई की मूर्ति भी मिलेगी।
4. गुड गवर्नेंस, उद्योग और रोजगार माता अहिल्या बाई ने गवर्नेंस का ऐसा उत्तम मॉडल अपनाया, जिसमें गरीबों और वंचितों को सबसे ज्यादा प्राथमिकता दी गई। रोजगार और उद्यम के लिए उन्होंने अनेक योजनाओं को शुरू किया। खेती को बढ़ावा देने के लिए नहरों का जाल बिछाया, उस जमाने में 300 साल पहले जल संरक्षण के लिए उन्होंने कितने ही तालाब बनवाए। आज हम कह रहे हैं, बारिश के एक-एक बूंद पानी को बचाओ। देवी अहिल्या जी ने ढाई सौ-तीन सौ साल पहले हमें ये काम बताया था।
5. किसान और खेती से आय किसानों की आय बढ़ाने के लिए उन्होंने कपास और मसालों की खेती को प्रोत्साहित किया। आज हमें बार-बार किसानों को कहना पड़ता है कि क्रॉप डायवर्सिफिकेशन बहुत जरूरी है। हम केवल धान या गन्ने की खेती करके अटक नहीं सकते। उन्होंने आदिवासियों और घुमंतू टोलियों के लिए खाली पड़ी जमीन पर खेती की योजना बनाई। मेरा सौभाग्य है कि आज देश के राष्ट्रपति पद पर आज जो विराजमान हैं, उनके मार्गदर्शन में मुझे आदिवासी भाई बहनों की सेवा का मौका मिला है।
6. हुनर की पारखी देवी अहिल्या ने विश्व प्रसिद्ध महेश्वरी साड़ी के लिए नए उद्योग लगाए हैं। बहुत कम लोगों को पता होगा कि देवी अहिल्या हुनर की पारखी थीं, वो गुजरात के जूनागढ़ से कुछ कारीगरों को लेकर आईं और महेश्वरी साड़ी का काम आगे बढ़ाया, जो अनेक परिवारों का गहना बन गया। जिससे हमारे बुनकर परिवारों को बहुत फायदा हुआ है।
8. बेटियों की शादी की उम्र देवी अहिल्याबाई को कई बड़े सामाजिक सुधारों के लिए भी हमेशा याद रखा जाएगा। आज अगर बेटियों की शादी की उम्र की चर्चा करें तो हमारे देश के कुछ लोगों को सेक्यूलरिस्म खतरे में दिखता है। उनको लगता है ये हमारे धर्म के खिलाफ है। देवी अहिल्या बाई को देखिए। मातृ शक्ति के लिए उस जमाने में बेटियों की शादी के बारे में सोचती थीं। उनकी खुद की शादी छोटी उम्र में हुई थी। लेकिन उनको पता था, बेटियों के विकास के लिए कौन सा रास्ता होना चाहिए।
8. महिलाओं को संपत्ति में अधिकार देवी अहिल्या जी थीं, उन्होंने महिलाओं का भी संपत्ति में अधिकार हो, जिनके पति की असमय मृत्यु हो गई हो, वो फिर विवाह कर सके। उस कालखंड में ये बातें करना भी बहुत मुश्किल लगता था। लेकिन अहिल्याबाई ने इन समाज सुधारों को भरपूर समर्थन दिया।
9. सेना में महिलाओं की भागीदारी उन्होंने मालवा की सेना में महिलाओं की एक विशेष टुकड़ी भी बनाई थी। ये पश्चिम की दुनिया के लोगों को पता नहीं है। हमें कोसते रहते हैं। हमारी माताओं-बहनों के अधिकारों के नाम पर हमें नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं। ढाई सौ-तीन सौ साल पहले हमारे देश में सेना में महिलाओं का होना...।
10. राष्ट्र निर्माण में नारी शक्ति का योगदान उन्होंने गांवों में महिला सुरक्षा टोलियां, ये भी बनाने का काम किया था। यानी अहिल्याबाई राष्ट्र निर्माण में हमारे नारी शक्ति के अमूल्य योगदान का प्रतीक है। मैं उनको प्रणाम करता हूं। प्रार्थना करता हूं, आप जहां भी हों, हम सभी पर आशीर्वाद बरसाएं।
देवी अहिल्या का एक प्रेरक कथन है, जो हम कभी भूल नहीं सकते। उसे मोटे-मोट शब्दों में कहूं तो जनता ने हमें जो दिया है वो ऋण है, जिसे हमें चुकाना है।