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14 राज्यों में मानसूनी बारिश:MP-बिहार के 52 जिलों में आंधी-पानी का अलर्ट

देश में मानसून की एंट्री का आज पांचवां दिन है। 14 राज्यों में मानसून की बारिश जारी है। वहीं, छत्तीसगढ़ में पिछले पांच दिनों में 111 इंच (2840 mm) से ज्यादा बारिश हो चुकी है। यह मई में होने वाली सामान्य बारिश से करीब 6 गुना ज्यादा है। सामान्य तौर पर मई में 430 से 450 mm तक बरसात होती है।

जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में मंगलवार को तेज बारिश हुई। कई इलाकों में ओले भी गिरे। ओडिशा में मानसून आज एंट्री कर सकता है। सरकार ने जिलों प्रशासन को अलर्ट पर रखा है। पूरे राज्य में भारी बारिश का अलर्ट है।

मध्यप्रदेश के 15 से ज्यादा जिलों में मंगलवार को बारिश हुई। आज भी भोपाल, इंदौर-उज्जैन समेत 40 जिलों में तेज आंधी के साथ बारिश की चेतावनी है। कुछ जिलों में आंधी की रफ्तार 50 kmph तक हो सकती है।

बिहार के 12 जिलों में आज बारिश का यलो अलर्ट है। वहीं, राजस्थान के बाड़मेर, जैसलमेर और फलोदी में अधिकतम तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा दर्ज हुआ। आज सात जिलों में हीटवेव जबकि 15 जिलों में दोपहर बाद आंधी-बारिश का यलो अलर्ट है।

देश में इस मानसून सीजन औसत 106% बारिश की संभावना इस बार मानसून सीजन (जून से सितंबर) में सामान्य से ज्यादा बारिश होने का अनुमान है। मौसम विभाग (IMD) ने बताया कि 106% तक बारिश हो सकती है। पिछले महीने इसे 105% बताया गया था। जून महीने में भी बारिश सामान्य से ज्यादा होगी।

IMD ने 27 मई को बताया था, 'देश में जून के महीने में सामान्य से ज्यादा बारिश होने की संभावना है, जो 108% हो सकती है। यानी इस दौरान 87 cm से ज्यादा बारिश का अनुमान है। इसे लॉन्ग पीरियड एवरेज यानी LPA कहा जाता है।

MP-महाराष्ट्र में ज्यादा, बिहार-झारखंड में कम बारिश होने का अनुमान

  • मौसम विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने बताया कि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, ओडिशा और आस-पास के इलाकों में इस बार सामान्य से ज्यादा बारिश हो सकती है। वहीं, पंजाब, हरियाणा, केरल और तमिलनाडु के कुछ इलाकों में सामान्य से कम बारिश होने का अनुमान है।
  • मध्य और दक्षिण भारत में सामान्य से ज्यादा बारिश होने की उम्मीद है। उत्तर-पश्चिम भारत में सामान्य, जबकि पूर्वोत्तर में सामान्य से कम बारिश हो सकती है।
  • मानसून के कोर जोन में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, ओडिशा और आसपास के इलाके शामिल हैं। इनमें अधिकांश बारिश साउथ वेस्ट मानसून के दौरान होती है। यह रीजन खेती के लिए मानसूनी बारिश पर बहुत ज्यादा निर्भर करता है।