नए वक्फ कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका:पांच याचिकाकर्ता आज हलफनामा देंगे
नए वक्फ कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट 20 मई को सुनवाई करेगा। उससे पहले केंद्र और 5 मुख्य याचिकाकर्ता आज अपना हलफनामा पेश करेंगे। 15 मई को दायर हुई नई याचिकाओं को खारिज करते हुए CJI बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह ने कहा था कि अंतरिम राहत दिए जाने के मुद्दे पर ही सुनवाई की जाएगी।
वहीं, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी नए वक्फ कानून के विरोध में देशव्यापी प्रदर्शन दोबारा शुरू कर दिया है। 18 मई को जारी एक बयान में बोर्ड ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर और देश में बने हालात देखते हुए, वक्फ बचाओ अभियान, जो 16 मई तक स्थगित किया गया था, उसे दोबारा शुरू किया गया है।
नए वक्फ कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 70 से ज्यादा याचिकाएं दायर हुईं, लेकिन कोर्ट सिर्फ 5 मुख्य याचिकाओं पर ही सुनवाई करेगा। इसमें AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी की याचिका शामिल है।
नया कानून अप्रैल में राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद लागू हुआ था। लोकसभा में 288 और राज्यसभा में 128 सांसदों ने इसका समर्थन किया था। कई विपक्षी पार्टियों ने इसका विरोध किया और सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।
केंद्र ने 25 अप्रैल को दायर किया था 1300 पेज का हलफनामा
केंद्र ने 25 अप्रैल को दायर हलफनामे में कहा था कि कानून पूरी तरह संवैधानिक है। यह संसद से पास हुआ है, इसलिए इस पर रोक नहीं लगाई जानी चाहिए। 1332 पन्नों के हलफनामे में सरकार ने दावा किया 2013 के बाद से वक्फ संपत्तियों में 20 लाख एकड़ से ज्यादा का इजाफा हुआ। इस वजह से कई बार निजी और सरकारी जमीनों पर विवाद हुआ।
हालांकि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने सरकार के आंकड़ों को गलत बताया और कोर्ट से झूठा हलफनामा देने वाले वाले अधिकारी पर कार्रवाई की मांग की थी।
20 मई को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट
17 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने केवल पांच याचिकाओं पर सुनवाई करने का फैसला लिया था। तब से लेकर 15 मई तक अधिनियम को चुनौती देने वाली कई याचिकाएं लगाई गईं। हालांकि CJI और जस्टिस अगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने कहा कि वह 20 मई को तीन मुद्दों पर अंतरिम निर्देश पारित करने के लिए दलीलें सुनेगी।
16 अप्रैल की सुनवाई की 3 बड़ी बातें...
1. वक्फ बोर्ड बनाने की प्रक्रिया: कानून के खिलाफ दलील दे रहे कपिल सिब्बल ने कहा,' हम उस प्रावधान को चुनौती देते हैं, जिसमें कहा गया है कि केवल मुसलमान ही वक्फ बना सकते हैं। सरकार कैसे कह सकती है कि केवल वे लोग ही वक्फ बना सकते हैं जो पिछले 5 सालों से इस्लाम को मान रहे हैं? इतना ही नहीं, राज्य कैसे तय कर सकता है कि मैं मुसलमान हूं या नहीं और इसलिए वक्फ बनाने के योग्य हूं?'
2. पुरानी वक्फ संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन पर: सिब्बल ने कहा- यह इतना आसान नहीं है। वक्फ सैकड़ों साल पहले बनाया गया है। अब ये 300 साल पुरानी संपत्ति की वक्फ डीड मांगेंगे। यहां समस्या है। इस पर SG ने कहा- वक्फ का रजिस्ट्रेशन 1995 के कानून में भी था। सिब्बल साहब कह रहे हैं कि मुतवल्ली को जेल जाना पड़ेगा। अगर वक्फ का रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ तो वह जेल जाएगा। यह 1995 से है।
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'अंग्रेजों से पहले वक्फ रजिस्ट्रेशन नहीं होता था। कई मस्जिदें 13वीं, 14वीं सदी की है। इनके पास रजिस्ट्रेशन या सेल डीड नहीं होगी। ऐसी संपत्तियों को कैसे रजिस्टर करेंगे। उनके पास क्या दस्तावेज होंगे? वक्फ बाई यूजर मान्य किया गया है, अगर आप इसे खत्म करते हैं तो समस्या होगी।'
3. बोर्ड मेंबर्स में गैर-मुस्लिम: सिब्बल ने कहा, 'केवल मुस्लिम ही बोर्ड का हिस्सा हो सकते थे। अब हिंदू भी इसका हिस्सा होंगे। यह अधिकारों का हनन है। आर्टिकल 26 कहता है कि नागरिक धार्मिक और समाजसेवा के लिए संस्था की स्थापना कर सकते हैं।
इस मसले पर CJI और SG के बीच तीखी बहस हुई। कोर्ट ने पूछा कि क्या सरकार हिंदू धार्मिक बोर्ड में मुस्लिमों को शामिल करेगी? SG ने कहा कि वक्फ परिषद में पदेन सदस्यों के अलावा दो से ज्यादा गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होंगे।
इस पर बेंच ने कहा, ‘नए एक्ट में वक्फ परिषद के 22 सदस्यों में से आठ मुस्लिम होंगे। इसमें दो ऐसे जज हो सकते हैं, जो मुस्लिम न हों। ऐसे में बहुमत गैर मुस्लिमों का होगा। इससे संस्था का धार्मिक चरित्र कैसे बचेगा?’