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वो स्थान, जहां पांडवों को उनके पापों से मिली थी मुक्ति, भक्तों के लिए खुले कपाट

उत्तराखंड की पहाड़ियों में स्थित रुद्रनाथ मंदिर पंच केदारों में एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है. जिस प्रकार केदारनाथ धाम शिव भक्तों के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र है, उसी प्रकार रुद्रनाथ मंदिर भी शिव भक्तों के बीच विशेष महत्व रखता है. ऐसा कहा जाता है कि महाभारत युद्ध के बाद पांडव इस स्थान पर आए थे और अपने ही भाइयों, कौरवों की हत्या के पाप से मुक्त हुए थे. मंदिर के दरवाजे 18 मई को श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए हैं. इस मंदिर में प्रतिदिन केवल 140 तीर्थयात्रियों को दर्शन की अनुमति है.

रुद्रनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित यह भव्य रुद्रनाथ मंदिर उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है. समुद्र तल से लगभग 3,600 मीटर (11,800 फीट) की ऊंचाई पर स्थित यह प्राकृतिक चट्टान मंदिर रोडोडेंड्रोन के पेड़ों और अल्पाइन घास के मैदानों के घने जंगल में बसा है. इस मंदिर को पंच केदारों में चौथा केदार माना जाता है.

किसने कराया था निर्माण

पौराणिक कथा के अनुसार, इस मंदिर का निर्माण महाभारत काल में पांडवों ने करवाया था. ऐसा कहा जाता है कि पांडवों ने अपने भाइयों कौरवों की हत्या के पाप का प्रायश्चित करने के लिए इस शिव मंदिर का निर्माण कराया था और यहां भगवान शिव की पूजा की थी. रुद्रनाथ के मुख्य मंदिर में भगवान शिव की मूर्ति के अलावा मंदिर के बाहर बाईं ओर पांचों पांडवों युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल, सहदेव, पांडवों की माता कुंती और द्रौपदी की मूर्तियां स्थापित हैं, साथ ही वन देवताओं और वन देवियों की मूर्तियां भी स्थापित हैं. मंदिर के दाहिनी ओर यक्ष देवी का मंदिर है. स्थानीय लोग इन्हें जाख देवी कहते हैं.

इस मंदिर में शिव के मुख की पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव का चेहरा इस मंदिर में बैल के रूप में प्रकट हुआ था. इस मंदिर के पास पांच पांडवों के साथ-साथ कुंती और द्रौपदी को समर्पित अन्य छोटे मंदिर भी हैं.

पंच केदार यात्रा का महत्व

ऐसा माना जाता है कि केदारनाथ पंच केदारों में प्रथम केदार है. यहीं पर पांडवों ने पहली बार भगवान शिव के शरीर के दर्शन किये थे. मध्य महेश्वर को द्वितीय केदार कहा जाता है. यहाँ शिव का मध्य भाग दिखाई देता है. तृतीय केदार तुंगनाथ भगवान शिव के हाथ का रूप है. चतुर्थ केदार रुद्रनाथ में शिव का मुख दर्शनीय है. पांचवें केदार, कल्पेश्वर में शिव की जटाएं रखी हुई हैं. इन पांच केदारों में से तीन, केदारनाथ, मध्यमहेश्वर और तुंगनाथ, उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में हैं, जबकि शेष दो, रुद्रनाथ और कल्पेश्वर, चमोली जिले में हैं.