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निर्जला एकादशी के दिन कब और कैसे पीना चाहिए पानी? जान लें सभी नियम

हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का खास महत्व है. साल में कुल 24 एकादशी का व्रत किया जाता है. वहीं जेष्ठ माह शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी के नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि इस व्रत में अगर कोई व्यक्ति को गलती से भी जल ग्रहण कर ले, तो आपका व्रत टूट सकता है. साथ ही व्रत का पूरा फल भी प्राप्त नहीं होता है. ऐसे में आइए जानते हैं कि निर्जला एकादशी के दिन कब और कैसे जल ग्रहण करें की व्रत का पूरा फल प्राप्त हो सके.

कब है निर्जला एकादशी?

वैदिक पंचांग के अनुसार, निर्जला एकादशी यानी जेष्ठ माह की एकादशी तिथि की शुरुआत 6 जून को देर रात 2 बजकर 15 मिनट पर शुरू होगी. वहीं तिथि का समापन अगले दिन 7 जून को तड़के सुबह 4 बजकर 47 मिनट पर होगा. उदया तिथि के अनुसार, 6 जून को रखा जाएगा.

निर्जला एकादशी व्रत में जल ग्रहण करने के नियम

  • वैसे तो निर्जला एकादशी के व्रत में जल ग्रहण करने की मनाही होती है. कहते है कि इस व्रत में दो बार जल ग्रहण किया जा सकता है.
  • निर्जला एकादशी के दिन जब आप स्नान करने जाएं, तो उस समय पहली बार आपको पहली बार जल का उपयोग करना चाहिए.
  • निर्जला एकादशी के व्रत में पूजा का संकल्प लेते समय जब आप आचमन करेंगे, तब दूसरी बार जल का उपयोग करें. इन दो स्थितियों में ही आप जल ग्रहण कर सकते हैं.

निर्जला एकादशी व्रत का महत्व

निर्जला एकादशी को भीमसेन तथा पांडव एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. पौराणिक मान्यता है कि पाँच पाण्डवों में एक भीमसेन ने इस व्रत का पालन किया था और वैकुंठ को गए थे, इसलिए इसे भीमसेन एकादशी कहा जाता है. मान्यता है कि यह वर्ष की सबसे कठिन और पुण्यदायक एकादशी मानी जाती है. कहते हैं इस व्रत को पूरे नियम से करने वाले को अधिकमास की दो एकादशियों सहित साल की 25 एकादशी व्रत का फल मिलता है. यह व्रत मन को संयम सिखाता है.


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