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नसों को मजबूत बनाने के लिए क्या खाना चाहिए ?

नसें हमारे शरीर में सभी सेल्स यानि कोशिकाओं और ब्लड वेसेल्स को जोड़कर रखने का काम करती हैं। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए नसों का हेल्दी होना भी जरूरी है। अगर नसों में किसी तरह की समस्या आने लगती है तो इसका पूरे नर्वस सिस्टम पर असर पड़ता है। नसों का पतला होना या नसों में किसी तरह की ब्लॉकेज आना खतरनाक हो सकता है। इसलिए खाने में उन चीजों को शामिल करें जिससे नर्वस सिस्टम को हेल्दी बनाया जा सके। नसों को हेल्दी बनाने के लिए खाने में कुछ जरूरी पोषक तत्वों को शामिल करें।

नसों के कमजोर होने से शरीर पर असर

नसों के कमजोर होने से पूरा नर्वस सिस्टम प्रभावित होता है। इससे सिर में दर्द होने हो सकता है। पाचन तंत्र पर बुरा असर पड़ सकता है। दिमाग की नसें प्रभावित हो सकती हैं। नसें पतली हो सकती हैं। नसों में ब्लड फ्लो प्रभावित हो सकता है। नसों में ब्लॉकेज भी आ सकती है। नसों की इन समस्याओं से बचने और नर्वस सिस्टम को मजबूत बनाने के लिए डाइट में इन पोषक तत्वों को जरूर शामिल करें।

  • एमीनो एसिड- नसों के लिए अपने खाने में एमीनो एसिड जरूर शामिल करें। अमीनो एसिड शरीर के लिए बहुत जरूरी है। बॉडी में एसेंशियल एमीनो एसिड कम होने पर नर्व्स दिमाग को सही तरीके से सिग्नल नहीं दे पाती हैं। एमीनो एसिड नर्व सेल्स की अपर लेयर को डैमेस से बचाता है। इसके अलावा न्यूरोट्रांसमिटर पर अच्छा असर डालता है। इससे नसें मजबूत बनती हैं।

  • सेलेनियम- सेलेनियम नसों के लिए एक जरूर पोषक तत्व है। इससे नर्वस को डैमेज होने से बचाया जा सकता है। खास बात ये है कि सेलेनियम से पार्किंसन और अल्जाइमर जैसी बीमारियों के खतरे को भी कम किया जा सकता है। जिन लोगों की नसें कमजोर हो रही हैं उन्हें डाइट में सेलेनियम से भरपूर चीजें जैसे अंडे की जर्दी, चिकन, सैलमन, लो फैट दूध और दही और क्रैब खाएं।

  • जिंक- विटामिन के अलावा शरीर को हेल्दी रखने में जिंक भी असरदार है। जिंक हमारे नर्वस सिस्टम को मजबूत बनाने में असरदार रोल प्ले करता है। इसलिए खाने में जिंक से भरपूर चीजें जैसे फिश, सी फूड और एवोकाडो और सीड्स शामिल करें। इससे नसें मजबूत बनेंगी और नर्वस सिस्टम हेल्दी रहेगा।

  • मैग्नीशियम- जिंक के अलावा नसों को स्वस्थ बनाए रखने और डैमेस से बचाने के लिए मैग्नीशियम भी जरूरी होता है। मैग्नीशियम का सेवन करने से नसों को मजबूती मिलती है। इससे नर्व सिग्नल ट्रांस्मिशन रेगुलेट होता है और नर्व डैमेज का रिस्क कम होता है।