बिना वर्दी के भी अजय देवगन ने दिखाई ‘हीरोपंती’, जानें कैसी है ये फिल्म
अजय देवगन की सुपरहिट फिल्म 'रेड' का सीक्वल 'रेड 2' आज थिएटर में रिलीज हो चुका है. इस फिल्म में अजय देवगन के साथ रितेश देशमुख भी अहम भूमिका में नजर आ रहे हैं बॉलीवुड और साउथ की एक ही तरह की फिल्में देखकर जो लोग ऊब गए हैं, उनकी सभी शिकायतें अजय देवगन की ‘रेड 2’ दूर कर देगी. 7 साल पहले आई ‘रेड’ के मुकाबले ‘रेड 2’ बेहतर है या बदतर? इस पर विस्तार से चर्चा करने से पहले आपको ये बता दें कि रेड 2 एक अच्छी फिल्म है. इसमें सभी कलाकारों ने कमाल की एक्टिंग की है, फिल्म की कहानी में भी दम है और एडिटिंग भी एकदम सटीक है. लंबे समय के बाद एक ऐसी थ्रिलर फिल्म आई है, जिसमें लगाया पॉलिटिकल एंगल का तड़का हम एंजॉय कर सकते हैं.
कहानी
कहानी शुरू होती है 1989 से, अमेय पटनायक की पोस्टिंग अब राजस्थान में हुई है और वो वहां के रहने वाले एक महाराज के घर पर अपनी 74वीं रेड करने पहुंच जाता है. ‘राजा को पकड़ने के लिए हमेशा महल जाने की जरूरत नहीं है, सुरंग के बाहर खड़े रहो, भगोड़ा राजा अपने आप हाथ लग जाता है’ जैसे भारी डायलॉग के साथ पटनायक अपनी रेड पूरी तो करता है, लेकिन इस धमाकेदार कहानी में पहला ट्विस्ट तब आ जाता है, जब ये ईमानदार इनकम टैक्स अफसर महाराज के सामने 2 करोड़ की रिश्वत मांग लेता है. अब क्या बिक गया है अमय पटनायक? इन घूसखोरी के आरोपों के बीच किस तरह से वो अपनी 75वीं रेड पूरी करेगा? ये जानने के लिए आपको थिएटर में जाकर अजय देवगन की फिल्म ‘रेड 2’ देखनी होगी.
जानें कैसी है ये फिल्म
जब भी कोई फिल्म उम्मीद से कई गुना ज्यादा अच्छी परफॉर्मेंस देती है, तब उस फिल्म का सीक्वल यानी पार्ट 2 बनाने वालों का प्रेशर बढ़ जाता है. ‘रेड 2’ के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है. जैसे की मैंने पहले ही कहा है कि रेड 2 की कहानी अच्छी है, फिल्म में काम करने वाले कलाकारों की एक्टिंग भी शानदार है. लेकिन रेड के मुकाबले रेड 2 थोड़ी पीछे ही रह जाती है. अमय पटनायक और रामेश्वर सिंह के टशन ने 7 साल पहले हमें कुर्सी से बांधे रखा था. लेकिन ‘रेड 2’ की बात करें तो फिल्म का फर्स्ट हाफ पूरी तरह से प्रेडिक्टेबल लगता है. लेकिन फिल्म का सेकंड हाफ और खासकर क्लाइमैक्स के आखिरी 30 मिनट फिल्म से जुड़ी आपकी सारी शिकायतें दूर कर देता है. अगर आप रेड को भूलकर ‘रेड 2’ को एक नई फिल्म की तरह देखें, तो आपको ये खूब पसंद आएगी. लेकिन ‘रेड’ फ्रैंचाइजी के फैंस को ये फिल्म थोड़ी निराश कर सकती है.
एक्टिंग
अजय देवगन को फिर एक बार ‘अमय पटनायक’ के रूप में देखकर मजा आ जाता है. बिना वर्दी के भी अपना दम दिखाने वाले इस किरदार में अजय पूरी तरह से छा गए हैं. एक्टिंग के मामले में रितेश देशमुख ने भी उन्हें पूरी टक्कर दी है. वो फिल्म का दूसरा छोर बड़ी ही बखूबी से संभालते हैं. दरअसल रेड के पार्ट 1 में हमने हमेशा अमय पटनायक को रामेश्वर के आगे ही देखा था. लेकिन यहां दादा भाई (रितेश देशमुख के किरदार का नाम) भी अमय पटनायक को कई झटके देते हुए नजर आता है. दादा भाई की विनम्रता, मां के लिए उसका प्यार, उसके अंदर छिपा हुआ शैतान, उसका फोन पर निकलता फ्रस्ट्रेशन, रितेश ने बखूबी से बड़े पर्दे पर पेश किए हैं. हाथ-पांव हिलाए बिना अजय देवगन और रितेश देशमुख ने इस फिल्म में आंखों से जो एक्शन किया है, वो कमाल का है.
अजय की पत्नी के किरदार में वाणी कपूर ने भी अच्छा काम किया है. लल्लन के किरदार में अमित सियाल खूब मनोरंजन करते हैं. बाकी सभी कलाकारों ने भी अपने किरदारों को न्याय दिया है.