इजरायल: संकट में नेतन्याहू सरकार, संसद भंग करने का बिल पेश
इजरायल में सियासी संकट गंभीर हो चला है। नेतन्याहू की गठबंधन सरकार पर खतरा मंडरा रहा है। बुधवार को विपक्ष ने संसद भंग करने का विधेयक पेश कर दिया है। इसकी वजह गठबंध में शामिल अति-रुढ़ीवादी पार्टियों का गुस्सा है। इन पार्टियों ने धमकी दी है कि अगर धार्मिक छात्रों को सैन्य सेवा से छूट देनेवाला कानून पास नहीं किया गया तो वे संसद भंग करने के प्रस्ताव का समर्थन करेंगी।
प्रस्ताव पास होने पर तुरंत गिर जाएगी सरकार?
हालांकि हाल में गठबंधन के नेताओं के बीच कई दौर की बातचीत हुई है ताकि इस विवाद का समाधान निकाला जा सके। हमास के साथ चल रहे युद्ध के बीच यह मुद्दा काफी संवेदनशील हो गया है। हालांकि सरकारी सूत्रों को अभी भी उम्मीद है कि कोई समझौता हो सकता है। इससे पहले मंगलवार को इजरायली मीडिया ने रिपोर्ट किया कि संसद भंग करने वाले प्रस्ताव को एक हफ्ते के लिए टालने की कोशिश की जा रही है। अगर यह प्रस्ताव पास हो भी जाए तो भी तुरंत सरकार नहीं गिरेगी। क्यों कि संसद भंग करनेवाले बिल को कानून बनने से पहले चार चरणों में वोटिंग के दौर से गुजरना होता है।
क्यों नाराज हैं रूढ़िवादी पार्टिया?
हालांकि नेतन्याहू के गठबंधन में शामिल दोनों अति-रूठिवादी पार्टियां इस इस मुद्दे पर बेहद नाराज हैं। इजरायल सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में धार्मिक छात्रों को सैन्य सेवा से छूट को असंवैधानिक करार दिया था। तब से लेकर अब तक कई सरकारें इस पर कोई नया कानून पास नहीं कर सकीं। पिछले सप्ताह यूनाइटेड टोरा जूडाइज्म ने ऐलान किया कि अगल कोई समाधान नहीं निकला तो वह संसद भंग करने के पक्ष में वोट करेगी। इस बीच 'शास' के प्रवक्ता आशेर मेदिना ने इजरायली पब्लिक रेडियो से कहा, हमें दक्षिणपंथी सरकार गिराने में खुशी नहीं है, लेकिन अब हम तरह से कहें तो ब्रेकिंग प्वॉइंट पर आ गए हैं। अगर कोई समाधान नहीं निकलेगा तो 'शास' संसद भंग करने के पक्ष में वोट देगा।
वहीं अधिकारियों को यह कहना है कि संसद भंग करने की पूरी प्रक्रिया हफ्तों या महीनों तक चल सकती है। गठबंधन में बुधवार को संसद की कार्यसूची में दर्जनों अन्य बिल जोड़ दिए ताकि समय को लंबा खींचा जा सके। बता दें कि नेतन्याहू की लिकुड पार्टी उस समिति को भी नियंत्रित करती है जो तय करेगी कि प्रस्ताव कितनी तेजी से आगे बढ़ेगा।